बांड क्या हैं (What are Bonds?)
बॉन्ड एक निश्चित आय वाला साधन है, जो निवेशक से उधारकर्ता को दिया जाने वाला ऋण है। यह निवेशक और उधारकर्ता के बीच एक अनुबंध है, जहाँ उधारकर्ता अपने संचालन के लिए धन का उपयोग करता है और निवेशकों को निवेश पर ब्याज मिलता है।
बॉन्ड उच्च सुरक्षा वाले ऋण साधन हैं, जो निश्चित आय परिसंपत्ति वर्ग के अंतर्गत आते हैं। यह किसी इकाई को विभिन्न परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए धन जुटाने में सक्षम बनाता है। यह एक ऐसा ऋण है जिसे उधारकर्ता एक निश्चित अवधि के लिए व्यक्तियों से प्राप्त करता है।
ये सरकार, कॉरपोरेट, नगर पालिकाओं, राज्यों और अन्य संस्थाओं द्वारा अपनी परियोजनाओं को निधि देने के लिए जारी किए जाते हैं। इन बॉन्ड की एक परिपक्वता तिथि होती है और जब वह प्राप्त हो जाती है, तो जारीकर्ता को निवेशक को लाभ के एक हिस्से के साथ राशि वापस करनी होती है। वित्त में बॉन्ड के अर्थ को समझने के साथ, आइए इस ऋण श्रेणी की विशेषताओं और कार्यप्रणाली पर एक नज़र डालें।
बांड के लिए प्रयुक्त की जाने वाली महत्वपूर्ण शब्दावलियाँ
सामान्य बॉन्ड शब्दावली को समझने से आपको इस वित्तीय साधन को बेहतर ढंग से समझने और विवेकपूर्ण निवेश निर्णय लेने में मदद मिल सकती है। बॉन्ड से जुड़े कुछ मानक शब्द हैं, जो इस प्रकार से हैं:
- निर्गम मूल्य (Issue Price): वह मूल्य जिस पर बांड जारीकर्ता मूल रूप से बांड बेचता है। कई मामलों में, बांड अंकित मूल्य या सममूल्य पर जारी किए जाते हैं।
- अंकित मूल्य (Face value): अंकित मूल्य बांड के निर्गम मूल्य (Issue Price) को दर्शाता है। अधिकांश भारतीय बांडों का अंकित मूल्य 1000 रुपये है।
- बाजार मूल्य (Market value): जिस कीमत पर बॉन्ड को बाज़ार में बेचा जाता है, उसे बाज़ार मूल्य कहते हैं। यह मूल्य मौजूदा आर्थिक स्थितियों (economic conditions) और बॉन्ड जारीकर्ता (bond issuer) के व्यवसाय के अलावा अन्य चीज़ों पर निर्भर करता है।
- कूपन दर (Coupon Rate): बांड जारीकर्ता द्वारा बांड के अंकित मूल्य पर दी जाने वाली ब्याज दर, जिसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। कूपन भुगतान अर्ध-वार्षिक या वार्षिक रूप से किया जाता है।
- यील्ड टू मैच्योरिटी (Yield to maturity): बॉन्ड की कीमत तय करने के तरीकों में से एक यील्ड टू मैच्योरिटी है, जो निवेशक के लिए अपेक्षित रिटर्न का योग है, अगर बॉन्ड को मैच्योरिटी तक रखा जाए तो यह एक दीर्घकालिक यील्ड है। इसे प्रतिशत में वार्षिक दर के रूप में दर्शाया जाता है।
- जारी करने की तिथि (Issue Date): बांड जारी करने की तारीख वह तारीख है जिस दिन से ब्याज अर्जित होना शुरू होता है।
- कूपन तिथियाँ (Coupon Dates): वे तिथियाँ जिन पर बांड जारीकर्ता ब्याज भुगतान करेगा।
- परिपक्वता तिथि (Maturity Date): वह तिथि जिस दिन बांड परिपक्व होगा और बांड जारीकर्ता बांडधारक को बांड का अंकित मूल्य अदा करेगा।
- परिसमापन की प्राथमिकता या वरीयता (Preference of Liquidation): यदि कोई कंपनी घाटे में है और कर्ज में है, तो कंपनी की संपत्ति बेचकर प्राप्त धन को एक निश्चित वरीयता क्रम में दिया जाता है। इसे परिसमापन की वरीयता कहा जाता है। पुनः प्राप्त राशि को निवेश किए गए समय के आरोही क्रम में वितरित किया जाता है। सबसे पुराने निवेशकों से शुरू करके फिर नए निवेशकों को दिया जाता है।
- सुरक्षित और असुरक्षित बांड (Secured & Unsecured Bonds): असुरक्षित बॉन्ड, जिन्हें डिबेंचर के रूप में भी जाना जाता है, ज्यादातर अच्छी प्रतिष्ठा, उच्च क्रेडिट रेटिंग और कंपनी की विश्वसनीयता वाली कंपनियों द्वारा जारी किए गए बॉन्ड होते हैं। ऐसे बॉन्ड पर रिटर्न कंपनी के लाभ और सफलता पर आधारित होते हैं। अगर कंपनी लाभ कमाती है, तो ब्याज के साथ राशि निवेशक को वापस कर दी जाती है, अन्यथा निवेश की गई राशि को वापस पाने में भी कठिनाई हो सकती है। सुरक्षित बॉन्ड निवेशक को कई तरह की सुरक्षा प्रदान करते हैं, हालांकि इन बॉन्ड को ज्यादातर सरकारी बॉन्ड माना जाता है।
- पारंपरिक बांड (Traditional Bond) के माध्यम से किए गए पुनर्भुगतान को बुलेट पुनर्भुगतान (Bullet Repayment) के रूप में भी जाना जाता है।
- 7 से 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले बांड को “नोट्स” कहा जाता है।
बांड जारीकर्ता कौन हैं (Who are the issuers of a Bond?)
बांड जारीकर्ता (issuers) :
सरकार (Government):
सरकार सड़कों, बांधों, स्कूलों और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को प्रायोजित करने के लिए धन जुटाती है। सभी स्तरों पर सरकारी संस्थानों को सड़कों, बांधों, स्कूलों और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को प्रायोजित करने और परियोजनाओं को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता होती है और इसलिए वे बांड के माध्यम से धन जुटाते हैं।
निगम (Corporations):
व्यवसाय या निगम अक्सर अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए पैसे उधार लेते हैं। जो ब्राउनिंग उपकरण खरीदने, अनुसंधान और विकास, लाभदायक परियोजनाओं (projects) को शुरू करने आदि के लिए हो सकती है। बड़े निगमों (corporations) को आमतौर पर बैंक द्वारा उधार दिए जाने वाले धन से कहीं अधिक धन की आवश्यकता होती है।
बांड में निवेश के लाभ (Advantages of Investment in Bonds)
बॉन्ड में निवेश करने से कई लाभ मिलते हैं जो इसे कई निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं। बॉन्ड में निवेश करने के निम्नलिखित लाभ हैं:
पूर्वानुमानित रिटर्न (Predictable returns): स्टॉक के विपरीत, बॉन्ड एक निश्चित दर पर रिटर्न प्रदान करते हैं, जो उन्हें अधिक पूर्वानुमानित निवेश विकल्प बनाता है। जारीकर्ता नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि का ब्याज देने का वादा करता है, और निवेशक को ठीक-ठीक पता होता है कि उन्हें कितना रिटर्न मिलेगा और कब मिलेगा। यह पूर्वानुमान उन निवेशकों के लिए बॉन्ड को एक बेहतरीन विकल्प बनाता है जो आय का एक स्थाई निरंतर प्रवाह चाहते हैं।
कम जोखिम भरा (Lower risk): बॉन्ड को आम तौर पर स्टॉक की तुलना में कम जोखिम भरा माना जाता है क्योंकि निवेश पर रिटर्न तय होता है, और जारीकर्ता को परिपक्वता (maturity) पर बॉन्ड की मूल राशि वापस करने के लिए अनुबंध के तहत बाध्य किया जाता है। जबकि निवेश के साथ हमेशा कुछ जोखिम जुड़े होते हैं, बॉन्ड मार्केट में पैसा खोने का जोखिम आम तौर पर स्टॉक मार्केट की तुलना में काफी कम होता है।
विविधता (Diversification): बॉन्ड में निवेश से निवेशक के पोर्टफोलियो में विविधता लाने में मदद मिलती है, जिससे समग्र जोखिम कम हो सकता है। चूंकि बॉन्ड मार्केट का शेयर बाजार से कोई खास संबंध नहीं है, इसलिए बॉन्ड में निवेश करने से शेयर बाजार में होने वाले नुकसान से बचाव हो सकता है। इसके अलावा, अलग-अलग तरह के बॉन्ड अलग-अलग स्तर के जोखिम देते हैं, इसलिए निवेशक अपनी जोखिम सहनशीलता (risk tolerance) के हिसाब से बॉन्ड चुन सकते हैं।
कर लाभ (Tax advantages): कुछ प्रकार के बॉन्ड कर लाभ प्रदान करते हैं, जबकि कुछ कॉरपोरेट बॉन्ड ऐसे हैं जो अपने बॉन्ड पर टैक्स लगाते हैं। इसके अलावा, सरकार द्वारा जारी किए गए कुछ बॉन्ड, नगरपालिका बॉन्ड और कुछ अन्य बॉन्ड अर्जित लाभ पर टैक्स नहीं लगाते हैं। यह निवेशकों के लिए अतिरिक्त आय प्रदान कर सकता है, खासकर उच्च कर स्लैब (higher tax brackets) वाले लोगों के लिए।
स्थिरता (Stability): बॉन्ड बाज़ार आम तौर पर शेयर बाज़ार की तुलना में ज़्यादा स्थिर होता है, जो अस्थिर हो सकता है और अचानक उतार-चढ़ाव के अधीन हो सकता है। बॉन्ड बाज़ार की स्थितियों के प्रति कम संवेदनशील होते हैं, और उनका मूल्य आमतौर पर ब्याज दरों और जारीकर्ता की साख से ज़्यादा प्रभावित होता है।
बांड में निवेश के नुकसान (Disadvantages of Investing in Bonds)
बॉन्ड में निवेश करने से कई लाभ मिल सकते हैं, लेकिन कुछ नुकसान भी हैं जिनके बारे में निवेशकों को पता होना चाहिए। बॉन्ड में निवेश करने के कुछ मुख्य नुकसान इस प्रकार हैं:
कम रिटर्न (Lower returns): स्टॉक जैसे अन्य प्रकार के निवेशों की तुलना में, बॉन्ड कम रिटर्न दे सकते हैं। जबकि स्थिर आय की तलाश करने वाले निवेशकों के लिए रिटर्न की निश्चित दर आकर्षक हो सकती है, लेकिन रिटर्न अन्य निवेशों की तुलना में उतना अधिक नहीं हो सकता है, खासकर कम ब्याज दर वाले माहौल में।
मुद्रास्फीति जोखिम (Inflation risk): यह बॉन्ड द्वारा दिए जाने वाले निश्चित रिटर्न की क्रय शक्ति (purchasing power) को कम कर सकता है। जब भी मुद्रास्फीति की दर बॉन्ड की ब्याज दर से अधिक होती है, तो निवेश पर वास्तविक रिटर्न नकारात्मक होगा।
ब्याज दर जोखिम (Interest rate risk): बॉन्ड की कीमतें ब्याज दर (Interest rate) से विपरीत रूप से संबंधित होती हैं। जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो बॉन्ड की कीमतें (bond prices) कम हो जाती हैं, और निवेशकों को नुकसान हो सकता है अगर उन्हें परिपक्वता से पहले अपने बॉन्ड बेचने की ज़रूरत होती है। तो यह लंबी अवधि के बॉन्ड के लिए यह जोखिम अधिक हो सकता है।
ऋण जोखिम (Credit risk): जारीकर्ता द्वारा डिफ़ॉल्ट का जोखिम हमेशा बना रहता है, खासकर कम रेटिंग वाले बॉन्ड के लिए। यदि जारीकर्ता ब्याज भुगतान करने या परिपक्वता पर मूल राशि चुकाने में असमर्थ (Unable) है, तो निवेशक अपना निवेश खो (loss) सकते हैं।
तरलता जोखिम (Liquidity risk): कुछ बॉन्ड दूसरों की तुलना में कम लिक्विड हो सकते हैं, जिससे उन्हें सेकेंडरी मार्केट में बेचना मुश्किल हो सकता है। इसका नतीजा यह हो सकता है कि निवेशकों को उनके बॉन्ड के लिए अपेक्षित कीमत से कम कीमत मिले या वे उन्हें बेच ही न पाएं।
बाजार ज़ोखिम (Market risk): बॉन्ड का मूल्य बाजार की स्थितियों, जैसे आर्थिक संकेतक (economic indicators) और राजनीतिक घटनाओं से प्रभावित हो सकता है। इन कारकों के कारण बॉन्ड की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप निवेशकों को संभावित नुकसान हो सकता है।
विभिन्न बॉन्ड श्रेणियां (What are Different Bond Categories)
सरकारी बांड (Government bonds): ये बॉन्ड केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं। RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) इन बॉन्ड का प्रबंधन और विनियमन करता है। सरकारी बॉन्ड पर आम तौर पर कम ब्याज दर होती है।
नगरनिगम के बांड (Municipal Bonds): ये नगर पालिकाओं या सरकारी निकायों (municipalities or government bodies) द्वारा जारी किए जाते हैं। सरकारी बॉन्ड की तुलना में इनमें तुलनात्मक रूप से ज़्यादा जोखिम होता है।
कॉरपोरेट बॉन्ड (Corporate Bonds): ये बॉन्ड निजी कंपनियों द्वारा जारी किए जाते हैं, कंपनियाँ सुरक्षित बॉन्ड और असुरक्षित बॉन्ड दोनों जारी करती हैं। कंपनियाँ इन्हें कम ब्याज दर पर पूंजी जुटाने के लिए जारी करती हैं। कुछ कॉर्पोरेट बॉन्ड सरकारी बॉन्ड की तुलना में अधिक प्रतिफल (yields) देते हैं।
संपत्ति समर्थित प्रतिभूतियां (Asset-Backed Securities): परिसंपत्ति-समर्थित प्रतिभूतियाँ (Asset-Backed Securities) वे बांड हैं जो बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा जारी किए जाते हैं।
बांड के विभिन्न प्रकार (Different types of bonds in finance)
बांड कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से कुछ के बारे में नीचे संक्षेप में चर्चा की गई है।
परिवर्तनीय बंधपत्र (Convertible Bonds): एक अंतर्निहित विकल्प के साथ ऋण उपकरण जो बांडधारकों को शेयर मूल्य जैसी कुछ शर्तों के आधार पर किसी बिंदु पर अपने ऋण को स्टॉक (इक्विटी) में परिवर्तित करने की अनुमति देता है।
कॉलेबल बांड (Callable Bonds): जब बांड जारीकर्ता (issuer) बांड की परिपक्वता अवधि पूरी होने से पहले ही उसे भुनाने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करता है तो उसे कॉलेबल बांड कहा जाता है। इस प्रकार के बांड के माध्यम से जारीकर्ता उच्च ऋण वाले बांड को कम ऋण वाले बांड में बदल सकता है।
पारंपरिक बंधन (Traditional Bonds): वह बांड जिसमें बांड की परिपक्वता तिथि समाप्त होने के बाद संपूर्ण मूलधन एक बार में निकाला जा सकता है, उसे पारंपरिक बांड कहा जाता है।
निश्चित दर बांड (Fixed-Rate Bonds): जब निवेश के दौरान कूपन दर एक समान रहती है, तो उसे निश्चित दर बांड कहा जाता है।
फ्लोटिंग रेट बांड (Floating Rate Bonds): जब किसी निवेश के दौरान कूपन दर में उतार-चढ़ाव होता रहता है, तो उसे फ्लोटिंग रेट बांड कहा जाता है।
पुटटेबल बांड (Puttable Bonds): जब निवेशक परिपक्वता तिथि से पहले अपने बांड को बेचने और अपना पैसा वापस पाने का फैसला करता है, तो इस प्रकार के बांड को पुटेबल बांड कहा जाता है।
बंधक बांड (Mortgage Bonds): वे बांड जो रियल एस्टेट कंपनियों और उपकरणों द्वारा समर्थित होते हैं, उन्हें बंधक बांड कहा जाता है।
शून्य-कूपन बांड (zero coupon bond): ये बॉन्ड समय-समय पर ब्याज नहीं देते हैं। इसके बजाय, निवेशक बॉन्ड को उसके अंकित मूल्य पर छूट पर खरीदता है और बॉन्ड के परिपक्व होने पर पूरा अंकित मूल्य प्राप्त करता है। शून्य-कूपन बॉन्ड उन निवेशकों के लिए आकर्षक हैं जो पूर्वानुमानित रिटर्न चाहते हैं लेकिन इसे प्राप्त करने के लिए बॉन्ड के परिपक्व होने तक प्रतीक्षा करने को तैयार हैं।
सीरियल बॉन्ड (Serial Bonds): जब जारीकर्ता अंतिम ऋण को कम करने के लिए निवेशक को हर साल छोटी किस्तों में ऋण राशि (loan amount) का भुगतान करना जारी रखता है, तो इस प्रकार के बांड को सीरियल बांड कहा जाता है।
विस्तारणीय बांड (Extendable Bonds): वे बांड जो निवेशक को बांड की परिपक्वता अवधि बढ़ाने की अनुमति देते हैं, विस्तारणीय बांड कहलाते हैं।
जलवायु बांड (Climate Bonds): जलवायु बांड किसी भी सरकार द्वारा धन जुटाने के लिए जारी किए जाते हैं, खासकर तब जब संबंधित देश जलवायु परिस्थितियों में किसी प्रतिकूल परिवर्तन का सामना करता है।
युद्ध अनुबंध (War Bonds): युद्ध बांड किसी भी सरकार द्वारा युद्ध की स्थिति में धन जुटाने के लिए जारी किया जाता है।
मुद्रास्फीतिक बॉन्ड (Inflation-Linked Bonds): मुद्रास्फीति से जुड़े बॉन्ड को मुद्रास्फीतिक बॉन्ड कहा जाता है। मुद्रास्फीति से जुड़े बॉन्ड की ब्याज दर आम तौर पर निश्चित दर वाले बॉन्ड से कम होती है।
सॉवरेन गोल्ड बांड (Sovereign gold bond): सॉवरेन गोल्ड बांड भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जाता हैं। अगर आप सोना खरीदना चाहते हैं, लेकिन उसे भौतिक रूप में नहीं रखना चाहते, तो आप सोने के जगह पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में निवेश कर सकते हैं। SGB की परिपक्वता अवधि आठ साल होती है और वे 2.5% की ब्याज दर देते हैं।
बांड की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Bond Prices)
बांड की कीमतों को कई कारक प्रभावित करते हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण कारक इस प्रकार हैं:
मुद्रा स्फ़ीति (Inflation):
जब मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो बॉन्ड की कीमतें गिरती हैं और ठीक इसके विपरीत मुद्रास्फीति घटती है तो बॉन्ड की कीमतें बढ़ती हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जब मुद्रास्फीति बढ़ रही होती है, तो यह आपके निवेश की क्रय शक्ति को कम कर देती है। यदि मुद्रास्फीति अधिक है, तो आपको मिलने वाला रिटर्न पैसे के मूल्य से कम होगा।
ब्याज दर (Interest Rate):
ब्याज दर भी बॉन्ड की कीमत में अहम भूमिका निभाती है। जब ब्याज दरें अधिक होती हैं, तो बॉन्ड की कीमत गिरती है और ठीक इसके विपरीत जब ब्याज दरें कम होती हैं तो बॉन्ड की कीमत बढ़ती है। ध्यान दें कि जब उच्च ब्याज दरों वाले नए बॉन्ड जारी किए जाते हैं, तो मौजूदा बॉन्ड की मांग गिर जाती है और उनकी कीमतें भी गिर जाती हैं। वैकल्पिक रूप से, जब कम ब्याज दर पर नए बॉन्ड जारी किए जाते हैं, तो मौजूदा बॉन्ड की मांग बढ़ जाएगी और उनकी कीमतें भी बढ़ जाएंगी।
साख दर (Credit Ratings):
क्रेडिट रेटिंग जारीकर्ता की परिपक्वता पर ब्याज और मूलधन का भुगतान करने की क्षमता को दर्शाती है। आम तौर पर, रेटिंग जितनी अधिक होगी, बॉन्ड की कीमत उतनी ही अधिक होगी। दूसरी ओर, यदि रेटिंग कम हो जाती है, तो बॉन्ड की कीमत भी गिर जाती है।
स्वतंत्र रेटिंग एजेंसियाँ बॉन्ड की साख के आधार पर रेटिंग देती हैं। रेटिंग बॉन्ड की सुरक्षा को दर्शाती हैं। AAA उच्चतम रेटिंग है, और इस रेटिंग वाले बॉन्ड को सबसे सुरक्षित माना जाता है। रेटिंग बॉन्ड जारीकर्ता की वित्तीय ताकत और समय पर मूलधन और ब्याज का भुगतान करने की क्षमता के आधार पर दी जाती है। नीचे दी गई तालिका रेटिंग और उनके अर्थ पर प्रकाश डालती है।
Ratings | अर्थ (Meaning) |
---|---|
AAA | उच्च सुरक्षा और न्यूनतम डिफ़ॉल्ट जोखिम (High safety with lowest risk of default) |
AA | उच्च सुरक्षा, तथा चूक का जोखिम कम (High safety with low risk of default) |
A | कम जोखिम (Low risk) |
BBB | मध्यम रूप से सुरक्षित (Moderately safe) |
BB | मध्यम रूप से सुरक्षित (Moderately safe) |
B | डिफ़ॉल्ट का भारी जोखिम (High risk of default) |
C | डिफ़ॉल्ट का बहुत अधिक जोखिम (Very high risk of default) |
D | डिफॉल्ट हो गया है या डिफॉल्ट होने वाला है (Defaulted or about to default) |
बांड कैसे काम करता है (How does a Bond work?)
बांड के मुख्य तीन घटक होते हैं, जिनका उपयोग बांड प्रतिफल (bond yield) की गणना करने के लिए किया जाता है:
- मूलधन (Principal amount)
- कूपन दरें (coupon rates)
- परिपक्वता तिथियाँ (maturity dates)
जब उधारकर्ता बांड जारी करता है, तो उधारकर्ता और ऋणदाता के बीच एक समझौता होता है, जिसमें बांड जारीकर्ता परिपक्वता तिथि पर मूल राशि वापस करने का वादा करता है। जारीकर्ता पूरे कार्यकाल के दौरान उधार ली गई राशि (कूपन) पर ब्याज भी देता है।
बांड में निवेश करने से पहले इन बातों का ध्यान रखें
बांड में निवेश करने से पहले निवेशक को निम्नलिखित कारकों पर विचार करना चाहिए:
- क्या बांड आपकी वित्तीय योजनाओं में फिट बैठते हैं?
- क्या बांड में डिफॉल्ट का जोखिम है?
- इन बांडों का मूल्य जोखिम क्या होगा?
- बाहर निकलने का विकल्प क्या है?
बांड में किसे निवेश करना चाहिए? (Who should invest in bonds?)
जो निवेशक जोखिम से बचना चाहते हैं और निवेश पर निश्चित रिटर्न चाहते हैं, उन्हें बांड में निवेश करने पर विचार करना चाहिए।
बॉन्ड कैसे खरीदें (How To Buy Bonds?)
आप भारत में कई तरीकों से बॉन्ड खरीद सकते हैं। आप बॉन्ड ETF, बॉन्ड प्लेटफ़ॉर्म या गिल्ट म्यूचुअल फंड के ज़रिए ऐसा कर सकते हैं। आपने जो भी तरीका चुना है, उसके बावजूद, उचित परिश्रम करें और सुनिश्चित करें कि बॉन्ड की रेटिंग गुणवत्ता उच्च है।
निष्कर्ष
बांड कंपनियों और सरकारों द्वारा परियोजनाओं और संचालन को वित्तपोषित करने के लिए जारी किए जाते हैं। बांड को एक निश्चित आय साधन माना जाता है, क्योंकि बांड परंपरागत रूप से ऋण धारकों को एक निश्चित ब्याज दर का भुगतान करते हैं।
अगर सही तरीके से बॉन्ड में निवेश किया जाए तो यह आपको एक ठोस फिक्स्ड-इनकम पोर्टफोलियो बनाने में मदद कर सकता है। अगर आपको कोई संदेह है, तो किसी स्वतंत्र वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।
FAQs
बॉन्ड कैसे चुनें?
बॉन्ड में निवेश करते समय मुख्य रूप से, क्रेडिट रेटिंग एवं यील्ड के आधार पर सापेक्ष मूल्य की तुलना करें। परंतु यह सुनिश्चित करें कि आप समझते हैं कि बॉन्ड की परिपक्वता और विशेषताएं इसकी यील्ड को कैसे प्रभावित करती हैं।
बांड कब खरीदें?
यदि आप आय के लिए अपने निवेश पर निर्भर हैं या निकट भविष्य में ऐसा करेंगे, तो आपको बांड में निवेश करना चाहिए।
बॉन्ड का मतलब क्या होता है?
बॉन्ड एक प्रकार की निवेश प्रतिभूतियाँ हैं, जहाँ निवेशक किसी कंपनी या सरकार को एक निश्चित अवधि के लिए नियमित ब्याज भुगतान के बदले में पैसा उधार देता है। बॉन्ड की परिपक्वता अवधि समाप्त होने पर, बॉन्ड जारीकर्ता निवेशक का पैसा वापस कर देता है।
बांड कितने प्रकार के होते हैं?
बॉन्ड के कई प्रकार है जिनमें मुख्य रूप से: कॉर्पोरेट बॉन्ड, म्यूनिसिपल बॉन्ड, सरकारी बॉन्ड और परिसंपत्ति-समर्थित प्रतिभूतियाँ हैं।
बांड कितने साल के होते हैं?
बांड 5 वर्ष से 40 वर्ष तक के हो सकते हैं।
बॉन्ड कौन जारी करता है?
बांड कम्पनियों या सरकारों द्वारा जारी किये जाते हैं।
क्या बांड अच्छे निवेश हैं?
हालाँकि ये ज़रूरी नहीं कि बांड सबसे ज़्यादा रिटर्न दें, लेकिन बॉन्ड को एक भरोसेमंद निवेश उपकरण माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे नियमित आय प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं।
बांड का क्या उद्देश्य है?
बॉन्ड सरकारें और निगम तब जारी करते हैं जब वे पैसे जुटाना चाहते हैं। बॉन्ड खरीदकर, आप जारीकर्ता को ऋण देते हैं, और वे आपको एक निश्चित तिथि पर ऋण का अंकित मूल्य वापस करने के लिए सहमत होते हैं, और आपको समय-समय पर ब्याज का भुगतान करने के लिए सहमत होते हैं, आमतौर पर साल में दो बार।
बांड में पैसा कैसे निवेश करें?
आप ब्रोकरेज फर्म, बैंक, बॉन्ड ट्रेडर या ब्रोकर के माध्यम से प्राथमिक बाजार में कॉर्पोरेट बॉन्ड खरीद सकते हैं।
कौन सा बांड ज्यादा ब्याज देता है?
उच्च उपज बांड एक ऐसा बांड हैं, जो निवेशकों को उच्च उपज (High yield) प्रदान करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जारीकर्ता की क्रेडिट रेटिंग अच्छी नहीं होती है।
किस बांड में सबसे ज्यादा जोखिम है?
अधिकतर कॉरपोरेट बॉन्ड में सरकारी बॉन्ड की तुलना में ब्याज दरें ज्यादा होती है, जिसका मतलब है कि कॉरपोरेट बॉन्ड में जोखिम सरकारी बॉन्ड से अधिक होता है।
खरीदने के लिए सबसे सुरक्षित बांड कौन सा है?
सरकारी बांड को आम तौर पर “सुरक्षित बांड” माना जाता है, क्योंकि सरकार उनकी गारंटी लेती है और उन्होंने कभी भी अभी तक चूक नहीं किया है। ये सरकारी बांड अक्सर उन निवेशकों के लिए सर्वोत्तम होते हैं जो अपने पैसे के लिए सुरक्षित ठिकाना चाहते हैं, खासकर अस्थिर बाजार अवधि के दौरान। इसके साथ ही सक्रिय द्वितीयक बाज़ार के कारण ये उच्च तरलता भी प्रदान करते हैं।
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