Best 6 Middle class trap: जो आपको गरीब बना रहा है। मिडिल क्लास से बाहर निकलने के उपाय।

भारत की 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश में लगभग 70 करोड़ से अधिक लोग मिडिल क्लास हैं जिनको कहा जाता है कि इनकी वजह से ही कम्पनियां, देश और दुनिया चल रही हैं पर हकीकत इससे बिल्कुल ही अलग है देश का मिडिल क्लास ट्रैप्ड है और आज हम ऐसे ही ट्रैप्स के बारे में जानेंगे जिनकी वजह से एक मिडिल क्लास गरीबी की ओर बढ़ता चला जा रहा है।

और साथ ही साथ इन ट्रैप से बाहर कैसे निकला जाए इसके बारे में भी विस्तार से जानेंगे लेकिन कुछ भी जानने से पहले हम ये समझते हैं कि आखिर ये मिडिल क्लास है कौन और इंडिया में कुल कितने इनकम कैटेगरी के लोग हैं –

PRICE (People Research on India’s Consumer Economy) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 4 प्रकार के इनकम कैटेगरी के लोग हैं और टोटल फैमिली इनकम के हिसाब से उनका डिस्ट्रीब्यूशन कुछ इस तरह है –

6 ऐसे “Middle class trap” जो आपको गरीब बना रहा है एवं इससे बाहर निकलने के उपाय I
6 ऐसे “Middle class trap” जो आपको गरीब बना रहा है एवं इससे बाहर निकलने के उपाय I

1) गरीब वर्ग (Poor class) / Destitutes –

साल में ₹1.25 लाख से कम आय वाले परिवार ‘Poor class’ श्रेणी में रखे गए हैं। देश की 13 प्रतिशत आबादी इस दायरे में आते हैं। इन परिवारों के पास बचत जैसा कुछ नही होता है।

2) निम्न आय वर्ग (Low income class) / Aspirers –

निम्न आय वर्ग की कैटिगरी में देश की 52 प्रतिशत आबादी हैं। सालाना 1.25 लाख से 5 लाख रुपये कमाई वाले परिवार इस श्रेणी में आते हैं। बचत करने के मामले में लो मिडल क्‍लास की हिस्‍सेदारी मात्र 1% है।

3) मध्यम वर्ग (Middle class) –

देश की आबादी में मिडिल क्‍लास की हिस्‍सेदारी 31 प्रतिशत है, इनकी आय 5 लाख से 30 लाख रुपये वार्षिक है l कमाई, खर्च और बचत में मिडिल क्‍लास सबसे आगे है।

4) उच्च वर्ग (Super Rich class) –

देश में 3 प्रतिशत आबादी ‘अमीर’ के दायरे में आतें है। इन परिवारों की सालाना आय 30 लाख रुपये से अधिक होती है।

इंडिया में हर कोई अपने आप को मिडिल क्लास मानता है पर एक्चुअल में आप देखते हैं तो पूरी जनसंख्या का सिर्फ 2 प्रतिशत ही एक्चुअल में मिडिल क्लास से हैं लोगों को लगता है कि महीने का ₹50,000 कमा रहा हूं तो मिडिल क्लास हूं ठीक है पर यह भी तो देखो उस परिवार में अगर पांच लोग हैं और उनमें से 4 लोग कुछ भी नहीं कमाई करते हैं और अगर अगर उनमें इनकम को डिवाइड किया जाए तो 50,000 भागे 5 यानी कि होगा ₹10,000 l

असल में ₹50,000 कमाने वाले की एक्चुअल में मंथली इनकम ₹10,000 हुए तो आप ही बताओ कि क्या वो मिडिल क्लास है और यही है मिडिल क्लास के ट्रैप में फंसे रहने का सबसे बड़ा कारण कि उसे अपनी हालत के बारे में ही पता नहीं है और विश्वास करो मेरा अभी तो मैंने आपको सिर्फ आपकी पोजीशन बताई है असली ट्रैप क्या है और इस मैट्रिक्स का मायाजल क्या है आप जानोगे तो आपको पता चलेगा कि इस देश का एक मिडिल क्लास कहे जाने वाला इंसान कभी अमीर बन ही नहीं सकता पर गरीब, गरीब जरूर बनते चला जा रहा है। तो आइए हम जानते हैं इन कारणों को जो हमें मिडिल क्लास से बाहर नहीं निकलने दे रहा है।

मिडिल क्लास में फंसे रहने के प्रमुख कारण (Middle class trap)

1) बजट ठीक से न बनाना (Not budgeting properly)

बजट ठीक से न बनाना (Not budgeting properly)
बजट ठीक से न बनाना (Not budgeting properly)

दरअसल हर मिडिल क्लास को चाहिए कि उसकी लाइफ अमीरों जैसी हो महंगे कपड़े मोबाइल फोन गाड़ियां सब कुछ अच्छी क्वॉलिटी का और इसी चक्कर में हम अपने बजट को कोने में फेंक देते हैं और सिर्फ कमाया खाया और पैसा उड़ाने पर ध्यान देते हैं बस यही मनोदशा (मेंटालिटी) है अधिकतर मिडिल क्लास लोगों की 90 % मिडिल क्लास लोग किसी भी तरह का कोई रिटर्न बजट नहीं बनाते हैं इसलिए ये हमेशा आउट ऑफ बजट ही होते हैं आमदनी अठन्नी है लेकिन खर्चा रुपैया l

चलिए इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं कि मिस्टर मौर्या एक ठीक ठाक कंपनी में काम करते हैं उनकी सैलरी लगभग ₹40,000 के आसपास है अब हुआ क्या कि उनको ऑफिस आने जाने में थोड़ी कठिनाई हो रही थी तो उन्होंने सोचा एक गाड़ी ले ली जाए अब भाई साहब ₹50,000 में तो एक बाइक भी नहीं आती है तो ऐसे में मिस्टर मौर्या ने वही किया जो हर मिडिल क्लास इंसान करता है बजट गया भाड़ में कैलकुलेशन गई भाड़ में सब छोड़ के गाड़ी खरीद लो और लोगों के आगे चमकाओ और फिर क्या

उन्होंने एक 10 लाख की गाड़ी लोन पर ले ली अब इस EMI कैलकुलेटर में आप देख सकते हो कि 10 लाख के लोन पर अगर 10 प्रतिशत के ब्याज (intrest) पर है और 5 साल के लिए अगर लोन लेते हैं तो ₹21,247 की उनकी महीने की ईएमआई(EMI) बन रही है 40000 कमाने वाला इंसान ₹21,247 EMI में ही दे देगा तो आउट ऑफ बजट तो होगा ही यही और आगे चलकर जब उन्हें गाड़ी का मेंटेनेंस उसकी किस्तें भरनी पड़ी तब उन्हें जाकर समझ में आया कि बजट कितना जरूरी (Important) है l खर्चा औकात के हिसाब से करना बहुत जरूरी है वरना लेने के देने पड़ सकते हैं l

2) नगद के जगह पर क्रेडिट कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल (More use of credit cards instead of cash)

नगद के जगह पर क्रेडिट कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल (More use of credit cards instead of cash)
नगद के जगह पर क्रेडिट कार्ड का ज्यादा इस्तेमाल (More use of credit cards instead of cash)

हर दूसरी चीज के लिए हर दूसरे खर्चे के लिए आज का मिडिल क्लास कार्ड स्वाइप कर रहा है और पैसे को पानी की तरह बहाता चला जा रहा है एक रिपोर्ट के अकॉर्डिंग 67 % भारतीय पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसी चीजों पर जीते हैं मानो बिना कार्ड स्वाइप किए तो इनकी खरीदारी नहीं होती है और ये लोग कैश पेमेंट में ज्यादा विश्वास नहीं रखते उसके बजाय हर नॉर्मल खरीददारी (Perchase) के लिए इन्हें क्रेडिट कार्ड चाहिए और इससे होता क्या है आईऐ समझते हैं।

मिस्टर रामू के पास जो क्रेडिट कार्ड है वो बड़ा हाई लिमिट वाला था तो हाल ही में इनकी शादी हुई तो उसमें काफी सारा खर्चा उन्होंने अपने क्रेडिट कार्ड से किया फिर हनीमून के खर्चे से लेकर घर के लिए नया फर्नीचर तक सब क्रेडिट कार्ड से ऑर्डर कर डाला अब हुआ क्या कि महीने के अंत में जब उनका बिल आया तो वो कुछ 5 – 8 लाख के आसपास था।

और उस पे लिखा था मिनिमम पे बैलेंस ₹25,000 अब क्या है ना कि हम मिडिल क्लास लोगों को ईएमआई भरने में और छोटी पेमेंट देने में बहुत मजा आता है भले ही पूरी जिंदगी लग जाए उस पेमेंट को भरते भरते। तो फिर क्या था मिस्टर रामू ने भी 25,000 वाला ऑप्शन चुना और उन्होंने टर्म्स एंड कंडीशन को ठीक से देखा भी नहीं इस तरह की गलती के कारण रामू को बाकी अमाउंट पर बहुत ही ज्यादा इंटरेस्ट पे करना पड़ा।

क्योंकि क्रेडिट कार्ड कंपनियां 30 से 48 प्रतिशत तक इंटरेस्ट चार्ज कर लेती हैं और फिर देखते-देखते वो अमाउंट इतना ज्यादा होने लगा कि मिस्टर रामू ने डिफॉल्ट करना शुरू कर दिया उन पर Legal fees , penalties and charges लगने लगे और उनका क्रेडिट स्कोर बुरी तरीके से गिर गया रोज-रोज बैंक से फोन, ईमेल्स, मैसेज सब आने लगे और अंत में उनको कैश अरेंज करके बैंक को देना पड़ा l

यही होता है हम में से बहुत से लोगों के साथ जो पैसा पड़ा है उसे यूज नहीं करेंगे बल्कि क्रेडिट कार्ड स्वाइप करेंगे क्योंकि कैश तो अपना है ना और क्रेडिट कार्ड तो बैंक का पैसा है भरते रहेंगे और इसी सोच के कारण ये लोग इस मिडिल क्लास ट्रैप में फंसे रहते हैं l

3) निवेश की जानकारी का आभाव (lack of investment knowledge)

निवेश की जानकारी का आभाव (lack of investment knowledge)
निवेश की जानकारी का आभाव (lack of investment knowledge)

यार ये स्टॉक मार्केट, म्यूचुअल फंड, इंडेक्स फंड सब फ्राड (scam) होता मेरे चाचा का बहुत बड़ा नुकसान हुआ था कुछ इसी तरह का स्टेटमेंट रहती है मिडिल क्लास लोगों की और इसका सबसे बड़ा कारण है सही जानकारी का न होना और यही सबसे बड़ा है ट्रैप एक आर्टिकल के अनुसार 72 % इंडियंस ये जानते ही नहीं है कि कहां कैसे और कब कितना पैसा इन्वेस्ट करना है और कितना सेव करना है और इसी चक्कर में वो अपना सारा का सारा पैसा बैंक्स में रखना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें सेफ्टी चाहिए सिक्योरिटी चाहिए और रिच बनना भी है।

स्टॉक मार्केट इंडेक्स फंड आज के दिन में रेवोल्यूशन है जो आपके लिए और आपकी फ्यूचर के लिए एक वरदान साबित हो सकता हैं पावर ऑफ कंपाउंडिंग आपकी जिंदगी सच में संवार सकती है। आज के इस आधुनिक समय में स्टॉक मार्केट में, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में, एसेट्स में, बिजनेस में इन्वेस्ट करना भी आसान बन गया है पर नहीं हमें सिक्योरिटी चाहिए, हमें चाहिए।

कि हमारा पैसा हमारे पास ही रहे और बिना कहीं इन्वेस्ट किए बस कहीं से मिलता रहे जिससे हम जल्दी-जल्दी अमीर बन जाएं कुछ यही ख्याल थे मिस्टर मोहन के इसलिए उन्होंने बहुत ही लेट इन्वेस्ट करना शुरू किया। 40 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार इंडेक्स फंड में एसआईपी (SIP) के माध्यम से इन्वेस्ट करना शुरू किया महीने के ₹10,000 जिस पर उन्हें 15 % का एनुअल रिटर्न मिल रहा था अब आप देख सकते हो कि 60 साल की उम्र तक यानी रिटायरमेंट तक उनके पास कुछ ₹ 1,51,59,550 ही होंगे।

पर सोचो अगर मिस्टर मोहन यंग एज से इन्वेस्ट करना शुरू करते 40 की उम्र से नहीं बल्कि 25 से स्टार्ट करते तो उनके पास लगभग ₹14,86,06,449 होते हैं बट ऐसा नहीं है कि एकदम से सारा पैसा निकाल कर इन्वेस्ट कर दिया। बल्कि थोड़ा-थोड़ा पैसा निकालो बैंक में भी रखो और अपनी सूझबूझ से थोड़ा-थोड़ा पैसा इन्वेस्ट करना शुरू करेंगें तभी आप सही माइने में अमीर बन पाओगे।

4) महंगाई को नजरअंदाज करना (Neglecting inflation)

महंगाई को नजरअंदाज करना (Neglecting inflation)
महंगाई को नजरअंदाज करना (Neglecting inflation)

मिडिल क्लास लोगों की सबसे बड़ी गलती यह होती है कि वह कभी भी इंफ्लेशन पे ध्यान नहीं देते और कहीं ना कहीं सेविंग्स ना होने का इन्वेस्टिंग ना कर पाने का सबसे बड़ा कारण इंफ्लेशन (महंगाई) ही है, आज से अगर कुछ साल पहले की बात करें तो लोगों की एवरेज सैलरी 20,000 रूपये होती थी और आज ज्यादा नहीं है बस वही बढ़कर ₹30,000 ही हो पाई है पर क्या आपने पेट्रोल के दाम को देखा 2002 में पेट्रोल ₹30 का था वहीं यह आज ₹100 क्रॉस कर चुका है यानी लगभग 300 % का वृद्धि।

घर का राशन जैसे आटा ,चावल ,दाल , सब्जी वगैरह सब मिलाकर पहले मात्र ₹5,000 से ₹6,000 में आ जाता था पर आजकल एक मिडिल क्लास महीने का 15,000 से 20,000 रूपये सिर्फ अपनी ग्रोसरी पर खर्च करता है क्योंकि इंफ्लेशन इस समय पीक पर है। पर क्या सैलरी बड़ी नहीं, और तो और सिर्फ ग्रोसरी नहीं आज की डेट में हर एक सेक्टर में इंफ्लेशन है आपकी दवाइयां देख लो, आजकल के ट्रीटमेंट देख लो, एजुकेशन देख लो।

यहां तक कि इंटरटेनमेंट भी देख लो और यही सबसे बड़ा ट्रैप है कि एक मिडिल क्लास इंसान इन सभी चीजों को इग्नोर कर बैठे हैं जो सामान जिस दाम पर दिया जाता है जैसा कहा जाता है बस वो कर देता है यह नहीं सोचता है कि पैसा कमाकर बैंक में डाल देने से बढ़ती महंगाई का सामना नहीं कर पाएगा और ना चाहते हुए भी आप और गरीब बनते चले जायेंगें I

5) ना कोई जीवन बीमा और ना ही कोई स्वास्थ्य बीमा (No life insurance and no health insurance)

ना कोई जीवन बीमा और ना ही कोई स्वास्थ्य बीमा (No life insurance and no health insurance)
ना कोई जीवन बीमा और ना ही कोई स्वास्थ्य बीमा (No life insurance and no health insurance)

जीवन बीमा एवं स्वास्थ्य बीमा में पैसा लगाना बर्बादी है, फ्रॉड हो जाता है बस यही सोच (Thinking) रहती है मिडिल क्लास की इंश्योरेंस को लेकर कपड़े, स्कूल, गाड़ियां, घर सब जगह खूब पैसा उड़ाएंगे पर जब बात आती है इंश्योरेंस की तब इन्हें सब पैसे खर्च करना वेस्ट(बर्बाद) लगता है I

₹1000 का Term/health insurance करवाने से डरते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि हॉस्पिटल गए तो जमीन जायदाद सब बिक जाएगी और ठीक होने की भी कोई गारंटी नहीं है तो भाई सोचो ना इंश्योरेंस बनाया किस लिए गया है सही जगह से देखकर सही प्लान सही पॉलिसी सेलेक्ट करो जिससे आपके लॉस होने के फ्रॉड होने के भी कोई चांसेस नहीं होंगे I

₹5000 की क्लब में एंट्री पार्टी कर लेंगे पर हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लेंगे मान लो कि एक बार के लिए इंश्योरेंस छोड़ भी दिया जाए तो भाई अपनी हेल्थ पर ही ध्यान दे लो नहीं हमसे वो भी नहीं होता लाइफ इतनी बिजी है कि जिम जाने का, अच्छा खाना खाने का टाइम ही कहां है swiggy, zomato है ना वो खाना दे जाते हैं अरे भाई आप यही समझो तो ट्रैप है साल में 15,000-20,000 का तो खाना आप जमेटो से ऑर्डर ही कर लेते हो जिसका कोई फायदा नहीं है पर वहीं 1000-2000 का हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लेंगे, ना ही हेल्थ केयर पर ध्यान देंगे और ना ही हेल्थ इंश्योरेंस पे इसलिए कहते हैं कि मिडिल क्लास के लोग गरीब बनने से बस एक कदम दूर हैं I

6) सामाजिक दबाव/प्रभाव (Social pressure/effect or influence)

सामाजिक दबाव/प्रभाव (Social pressure/effect or influence)
सामाजिक दबाव/प्रभाव (Social pressure/effect or influence)

आजकल बच्चों की एजुकेशन को एजुकेशन कम और स्टेटस सिंबल ज्यादा मान लिया गया है हमारा बच्चा अगर अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ रहा तो हमारी सोसाइटी में कोई वैल्यू नहीं होगी कुछ ऐसी मानसिकता (mentality) आज के मिडिल क्लास पेरेंट्स की है और इसी पियर प्रेशर में आकर वो अपने बच्चों को बेस्ट से बेस्ट एजुकेशन देते हैं।

अपनी औकात से बाहर जाकर खर्चा करते हैं कर्ज़ (loans) लेते हैं आप देखते हैं तो इंडियन स्कूल के एक बच्चे की 12th तक की एजुकेशन के लिए ₹10 से 20 लाख तक चार्ज करते हैं और फॉरेन एजुकेशन के लिए यह कॉलेज की फीस ₹30 लाख तक पहुंच जाती है यानी अगर सब मिलाकर जोड़ों तो ₹50 लाख तक पहुंच जाती है तो अब सोचो कि जिसका इनकम ब्रैकेट 30 लाख में खत्म हो जाता है वो कहां से ₹50 लाख खर्चा करेगा पर नहीं हम तो एक मिडिल क्लास के अपने बच्चों को हर पॉसिबल फैसिलिटी देगें।

जिसके लिए वह लोन भी लेंगें और बाद में इसी लोन का बोझ (Burden) उस बच्चे को उठाना पड़ता है और फिर क्या वह बुरी तरीके से टूट (broke) जाता है I और अगर 50 लाख का खर्चा करने के बाद भी उसे नौकरी नहीं मिल रही तो यार तो आप देख सकते हैं कि देश का मिडिल क्लास किस तरह से चारों तरफ से ट्रैप में फंसा हुआ है l

मिडिल क्‍लास से बाहर निकलने के उपाय :-

1) The 80/20 Rule का प्रयोग Saving and Budgeting करने के लिए

The 80/20 Rule का प्रयोग Saving and Budgeting करने के लिए
The 80/20 Rule का प्रयोग Saving and Budgeting करने के लिए

अगर आप अपनी बजटिंग सुधारना चाहते हो कि फ्यूचर में आपके पास एक अच्छा खासा अमाउंट रहे तो आप 80/20 रूल का प्रयोग किजिए बजटिंग के लिए इस रूल के तहत आप अपनी मंथली इनकम का 80 % अमाउंट अपनी नीड्स, वांट्स और जरूरी चीजों पर खर्चा करेंगे और बाकी 20 % आपको जरूर बचत (save) और इन्वेस्ट (investment) करना है (example – Gold, index funds, mutual funds, ETFs etc.) l

मान लेते हैं कि आपकी सैलरी ₹50,000 तो पहले आपको यह नहीं सोचना कि 80 % पर खर्चा कहां करूं बल्कि सैलरी क्रेडिट होते ही ऑटो पे का ऑप्शन सेलेक्ट करो और 50,000 का 20 % यानी कि ₹ 10,000 सीधा SIP करो और बाकी ₹40,000 से भी कुछ अमाउंट सेव कर पाओगे तो ठीक है नहीं तो फ्यूचर के लिए तो इन्वेस्ट हो ही रहा है आपकी छोटी सी इन्वेस्टमेंट आपको अमेजिंग रिटर्न देगी यही पैसा 30 साल बाद 15 % के दर से बढ़ा तो ₹ 7,00,98,206 बन जाएंगे l

2) 20-4-10 रूल का प्रयोग गाड़ियों के लिए

20-4-10 रूल का प्रयोग गाड़ियों के लिए
20-4-10 रूल का प्रयोग गाड़ियों के लिए

सबसे पहली गलती (Mistake) जो मिडिल क्लास साधारणतः कर देता है वह है किसी भी चीज की बजटिंग ना करना उदहारण के लिए कार खरीदने पर, बाइक खरीदने पर भी लोन देखो भाई अब इंसान हैं तो ख्वाहिशें भी होंगी पर अपनी गाड़ी का सपना किसको नहीं होता पर कार खरीदते समय आपको जो रूल फॉलो करना है वो है।

20-4-10 रूल अब मान लो आपकी ड्रीम गाड़ी THAR है। तो माना थार की कीमत 15 लाख रूपये है तो इस रूल के हिसाब से आपके पास गाड़ी की क़ीमत का 20 प्रतिशत यानी 15 लाख का 20 % हुआ ₹ 3 लाख रूपये जो आपको तुरन्त डाउन पेमेंट के लिए आपने पास होना चाहिए। अब रूल के 4 का मतलब है कि 4 साल का आपको लोन लेना है तो 4 साल के लिए अगर आप 10% के हिसाब से लोन लोगे तो आपकी महीने की ईएमआई बनेगी ₹30,435 होनी चाहिए l

अब रूल के 10 वाले भाग का मतलब है कि आपके मंथली सैलरी के 10 % के बराबर ही गाड़ी पर खर्च करना है, तो अगर आपकी महीने की सैलरी ₹ 3,04,350 नहीं है तो इस रूल के हिसाब से तो आप गाड़ी नहीं खरीद सकते l अब इस रूल के हिसाब से तो आप समझ गए ही होंगें की कौन सी गाड़ी या बाइक आप अफोर्ड कर सकते हैं।

3) फैशन, दिखावा और नये चलन से बचें (Avoid fashion, show off and new trends)

फैशन, दिखावा और नये चलन से बचें (Avoid fashion, show off and new trends)
फैशन, दिखावा और नये चलन से बचें (Avoid fashion, show off and new trends)

मिडिल क्लास के लोग पियर प्रेशर में आकर बहुत बड़ी-बड़ी गलतियां कर बैठते हैं और हमें हमेशा यही लगता है कि अगर सोसाइटी से मैच नहीं किया तो कोई पूछेगा नहीं। अगर आप सच में अमीर (Rich) बनना चाहते हो तो आपको यह lifestyle inflation को छोड़ना होगा।

दरअसल लोग सोचते हैं कि जैसे ही सैलरी बढ़ेगी अच्छी पोस्ट मिली तो नया घर खरीदेंगें, महंगे स्कूल में एडमिशन कराएंगें, अच्छा खाना खाएंगे, अच्छी गाड़ी चलायेंगें यानी सारी लायबिलिटीज (दायित्व या बोझ) पहले ले लो और एक भी एसेट (ऐसी संपत्ति जो पैसा कमा कर दे) मत बनाओ। देखो यार सही है कि आपको अपनी इनकम बढ़ाने के लिए मेहनत करनी है, नई स्किल्स सीखनी है, एक महीने में जितना अधिकतम हो सके उतना पैसा कमाना है, एक घर में अधिकतम जितने लोग काम कर सके उन्हें करना चाहिए इससे ये होता है कि सारी जिम्मेदारियां (Responsibility) एक ही बंदे के कंधे पर नहीं आती।

इनकम बढ़ते ही जो चीज सबसे पहले बढ़नी चाहिए वो है आपके इन्वेस्टमेंट और आपके एसेट्स अब देखो तो इंफ्लेशन तो बढ़ी है और आगे भी बढ़ती ही रहेगी रहना खाना सब और भी महंगा होता जाएगा और ऐसे में अगर हम लाइफ स्टाइल भी महंगी कर लेंगे तो रिच तो छोड़ो मिडिल क्लास से भी नीचे चले जाएंगे तो इसलिए फैशन, दिखावा और नये चलन से बचें।

4) ये सीखें कि समय रहते आर्थिक रूप से स्वतंत्र कैसे बनें (Learn how to become financially independent over time)

ये सीखें कि समय रहते आर्थिक रूप से स्वतंत्र कैसे बनें (Learn how to become financially independent over time)
ये सीखें कि समय रहते आर्थिक रूप से स्वतंत्र कैसे बनें (Learn how to become financially independent over time)

इंसान गलतियां तभी करता है जब उसे कोई आईडिया नहीं होता है कि क्या करना है कैसे करना है या कहां पहुंचना है और 90 % मिडिल क्लास लोगों की यही गलती होती है कि वो सिर्फ और सिर्फ अपने आप को बेहतर बनाने में ध्यान देते हैं और फ्यूचर का रिटायरमेंट का कभी नहीं सोचते और इसके लिए बेस्ट है The 4 percentage Rule ये पता करने के लिए कि आपको कितना पैसा चाहिए जल्द ही रिटायरमेंट होने के लिए आप द 4 रूल का प्रयोग कर सकते हैं।

जिसमें आपको अपने वार्षिक खर्च ( Annual expenses) को 4 % से डिवाइड करना होगा उदाहरण के लिए आपके मंथली एक्सपेंसेस ₹40,000 है तो आपका साल का खर्चा होगा ₹ 4,80,000 अब इस ₹ 4,80,000 को अगर 4 % से आप भाग (divide) करेंगें तो होगा ₹1 करोड़ 60 लाख यानी आपको अर्ली रिटायरमेंट के लिए इतना पैसा चाहिए।

तो देखो आपका गोल (Aim) रिच बनना नहीं बल्कि फाइनेंशियल फ़्रीडम को हासिल करने का होना चाहिए रिच तो आप अपने आप ही बन जाओगे। मिडिल क्लास के इस मकड़जाल (trap) से बाहर निकलो क्योंकि सोसाइटी, गवर्नमेंट्स, बैंक्स और कंपनियां, आदि चाहती हैं कि आप अगले 60-70 साल ऐसे ही रहो जैसे आज हो ताकि वो तरक्की कर पाएं और आप मिडिल क्लास से भी नीचे लोअर इनकम क्लास में चले जाओ।

                                            तो दोस्तों ये था मिडिल क्लास लोगों के जीवन का हकीक़त और मिडिल क्लास के इस मकड़जाल से बाहर निकलने का उपाय ये लेख आपको पसंद आया हो तो अपने मिडिल क्लास दोस्तों के साथ शेयर करें और इस तरह के अधिक से अधिक रोचक और नॉलेजफुल लेख हमारी वेबसाइट पर पढ़ें। धन्यवाद!

FAQ (अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न)

भारतीय मध्यम वर्ग गरीब क्यों होता जा रहा है?

भारत में बढ़ती प्रौद्योगिकी और विकास, सेवाएँ …आदि (Technology and Development, Services…etc) के कारण अब कंपनियों, व्यवसायों में उच्च कौशल (Hight skills) की डिमांड की जा रही है I जबकि भारत में अभी मिडिल क्लास के लोगों में उच्च स्तरीय शिक्षा, कौशल का अभाव है जिसके वजह से मध्यम वर्ग में बेरोजगारी बढ़ रही है इसके साथ ही बढ़ती महंगाई मध्यम वर्ग को गरीबी के तरफ ढ़केल रहा है I

आपको कैसे पता चलेगा कि आप मिडिल क्लास हैं?

मध्यम वर्ग का व्यक्ति अच्छे जीवन स्तर का खर्च वहन करने में सक्षम है, इसने परिवार में एक मुखिया होता है जिसके कन्धे पर सभी जिम्मेदारियां टिकी होती हैं I ये लोग अक्सर साल में एक या दो बार छुट्टियां मनाने के लिए घूमने जाते हैं इसके साथ ही ये अपने बच्चों के भविष्य की शिक्षा, शादी…. इत्यादि के लिए निवेश करने में सक्षम होते हैं I

मध्यम वर्ग के लोग जीवन यापन के लिए क्या- क्या काम करते हैं?

मध्यम वर्ग (मिडिल क्लास), निम्न आय वर्ग (लो इनकम क्लास) और अमीर वर्ग के बीच का आर्थिक स्तर है। ये लोग मुख्य रूप से अधिकतर सफेदपोश व्यवसायों, छोटे व्यवसायों या कुशल व्यवसायों में काम करके अपना जीवन यापन (Livelihood) करते हैं।

Author

  • Ragini Singh

    रागिनी सिंह असेटबनाओ.कॉम की एक वित्तीय विश्लेषक हैं जिन्हें विभिन्न वित्तीय विषयों में महारत हासिल है ये लोगों को वित्तीय योजना, निवेश विकल्प और बजट कौशल पर सलाह देती हैं और उन्हें अपने वित्तीय जीवन को बेहतर बनाने में भी मदद करती हैं। इसके साथ ही इनको इन विषयों पर आधारित लेख ऑनलाइन लिखना पसंद है।

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